Kavi Surdas je ka jeevan parichay , rachnaye, bhashasheli, kavya visheshtao par Microteaching Hindi Path Yojna (Lesson Plan) Class 6th to 10th k Liye
लेसन प्लान का संक्षिप्त विवरण:
- विषय: हिंदी
- टॉपिक: महाकवि सूरदास की काव्य वशेषताएँ
- पाठ योजना प्रकार: सूक्षम ( माइक्रो टीचिंग )
Note: निचे दी गयी हिंदी पाठ योजना केवल एक उदाहरण मात्र है| जिससे आपको Lesson Plan बनाने का Idea मिलता है| आप खुद की कल्पना शक्ति और प्रतिभा से इसे और बेहतर बना सकते है| और साथ ही साथ कक्षा, नाम, कोर्स, दिनांक, अवधि इत्यादि में बदलाव करके इसे आप अपनी सुविधा के अनुसार इस्तेमाल कर सकते है
Surdas Lesson Plan in Hindi [ महाकवि सूरदास जी पर हिंदी पाठ योजना] For B.Ed 1st Year, 2nd Year and DELED - Kavi Surdas Ke Pad Aur Unki KavyaGat Vishestaye Lesson Plan in Hindi
Date: | Duration Of The Period: |
Students Teacher Name: | Pupil Teacher's Roll Number: |
Class: | Average Age Of the Students: |
Subject: | Topic: |
शिक्षण बिंदु: | छात्राध्यापक क्रियाएं: | छात्र-क्रियाएं: | श्यामपट्ट कार्य: |
जीवन परिचय | महाकवि सूरदास जी का जन्म सन 1478 ईस्वी को मथुरा-आगरा मार्ग पर स्थित रुनकता नामक गांव में हुआ था, कहा जाता है कि यह जन्म से अंधे थे, परंतु इनके काव्य में वर्णित प्रसंगो तथा प्रकृति के सभी चित्रों को देखकर इस बात पर विश्वास नहीं होता| | बच्चे सूर दास जी के बारे में जानना चाहते है|
ध्यान पूर्वक सुन रहे हैं| |
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रचनाएं | सूरदास जी की तीन प्रमुख रचनाएं हैं:1. ‘सूरसागर’, 2. ‘सूर-सारावली’ और 3. ‘साहित्य लहरी’
इनमें सूरसागर ही कवि की अमर कीर्ति का आधार है, सूरदास वात्सल्य और श्रृंगार रस के अन्यतम कवि हैं, इन के काव्य में बालकृष्ण के सौंदर्य और उनकी चपल चेष्टा और क्रीड़ाओं की मनोहर झांकी मिलती है| इनके काव्य में कृष्ण और गोपियों के अनन्य प्रेम का चित्रण है| संयोग श्रृंगार की अपेक्षा इनके काव्य में वियोग श्रृंगार का विस्तृत और मार्मिक चित्रण हुआ है, सूरसागर में भक्ति और विनय संबंधी पद भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं इनके पदों में सूरदास जी की भक्ति भावना का परिचय मिलता है| |
ध्यान पूर्वक सुन रहे हैं| |
सूरदास जी की प्रमुख रचनाये:सूरसागर सूर सारावली साहिय लहरी |
भाषा शैली | सूरदास जी ब्रजराज श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे, ब्रज की लोकप्रिय प्रचलित भाषा को अपने कार्य में आधार बनाया| इनकी ब्रजभाषा में मधुरता और सरलता का मिश्रण मिलता है, इन्होंने अरबी ,फारसी अवधि तथा पूर्वी हिंदी के शब्दों को अपनाया है मुहावरों और कहावतो का प्रयोग भी इन्होंने किया है| इनके काव्य में उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का प्रयोग बहुत ही सुंदर ढंग से हुआ है| |
अलंकार उपमा रूपक उत्प्रेक्षा |
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काव्यगत विशेषताएं | महाकवि सूरदास जी का श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे इन्होंने अपनी रचनाओं में श्री कृष्ण जी की विविध लीलाओं का वर्णन किया है|
वात्सल्य रस के ये सम्राट थे हिंदी में ही नहीं संसार की किसी भी भाषा में बाल-सुलभ चेष्टाओ का अनूठा वर्णन किया है, जो अन्य कवि आज तक नहीं कर सके इनका बाल हठ, माखन चोरी, शिशु सुलभ चपलता, खीझ, स्पर्धा, नटखटपन आदि का वर्णन अत्यंत मनोहारी है अब मै आप सभी से कुछ पुछुगी| |
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प्रश्न | सूरदास जी की रचनाओं के बारे में बताइए? |
सूरसागर सूर सारावली साहित्य लहरी |
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प्रश्न | सूरदास जी ने अपनी रचनाओं में किसका वर्णन किया है? | ||
प्रश्न | सूरदास जी ने किस रस का वर्णन किया है? | ||
प्रश्न | सूरदास जी ने किस काव्य भाषा में रचना की है? |
निरीक्षण अनुसूची एवं रेटिंग स्केल:
क्रम संख्या: | घटक: | रेटिंग: |
1. | व्याकरणीय शुद्धता | 0 1 2 3 4 5 6 |
2. | पर्याप्त भाव मुद्रा का प्रयोग | 0 1 2 3 4 5 6 |
3. | स्वर में आरोह अवरोह का प्रयोग | 0 1 2 3 4 5 6 |
4. | भाव केन्द्रीकरण का प्रयोग | 0 1 2 3 4 5 6 |
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